नमस्तुभ्यं भगवते विशुद्धज्ञानमूर्तये आत्मारामाय रामाय सीतारामाय वेधसे ।।


नमस्ते राम राजेन्द्र नमः सीतामनोरम नमस्ते चंडकोदण्ड नमस्ते भक्तवत्सल ।।


दीन मलीन हीन जग मोते । रामचंद्र बल जीवत तेते ।।

Friday, March 14, 2025

रामकाज हेतु रामदूत उड़ि चले

 

बार-बार राम को संभारि रामकाज हेतु रामदूत उड़ि चले ।

बल बुद्धि ज्ञान के निधान अंजना को लाल जैसो कौन मिले ।।

महावीर वेग ते पहाड़, नीर तरु आदि जोर-जोर ते हिले ।

पूरेगी मन आस रामदास खास, देखि देवतन के मन खिले ।। 


।। जय हनुमान ।।

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