नमस्तुभ्यं भगवते विशुद्धज्ञानमूर्तये आत्मारामाय रामाय सीतारामाय वेधसे ।।


नमस्ते राम राजेन्द्र नमः सीतामनोरम नमस्ते चंडकोदण्ड नमस्ते भक्तवत्सल ।।


दीन मलीन हीन जग मोते । रामचंद्र बल जीवत तेते ।।

Sunday, April 7, 2024

श्रीराम नवमी को भोजन नहीं करना चाहिए

 

इस बार श्रीराम नवमी सत्रह अप्रैल को पड़ रही है  श्रीराम नवमी को भोजन वर्जित है । श्रीराम नवमी अर्थात चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी को भोजन करना वर्जित है । इसलिए सभी को श्रीराम नवमी को उपवास-व्रत रखना चाहिए । यह वर्णन सनतन धर्म के कई ग्रंथों में मिलता है ।

 

  अध्यात्म रामायण में निर्जल व्रत करने को कहा गया है । लेकिन कम से कम अपनी-अपनी सामर्थ्य के अनुसार फलाहार करके व्रत रखना चाहिए । लेकिन भोजन नहीं करना चाहिए ऐसा ग्रंथ कहते हैं । सामान्यतया ग्रंथों में बालक-वृद्धि और रोगी आदि को व्रत-उपवास से छूट दी गई है ।

 

  इतना ही नहीं ग्रंथों के अनुसार प्रत्येक महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी को भोजन नहीं करना चाहिए और व्रत रखना चाहिए । ऐसा वर्णन मिलता है कि जैसे एकादशी व्रत करना चाहिए वैसे ही प्रत्येक महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी को व्रत करना चाहिए । प्रत्येक महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी को भोजन वर्जित है ।

 

  इस प्रकार भगवान श्रीराम के भक्तों को केवल राम नवमी को ही नहीं बल्कि प्रत्येक महीने के शुक्ल पक्ष नवमी को व्रत रखना चाहिए ।



प्रगटे राम रघुवीरा, अवधपुर बीथिन में भीरा

 

 

।। जय श्रीराम ।।

 

Sunday, March 10, 2024

भगवान श्रीराम का अवतार कितने वर्ष पूर्व हुआ था

 

यह सबको पता है कि भगवान श्रीराम का अवतार त्रेता युग में होता है । लेकिन अभी हाल का श्रीरामावतार कब हुआ था इस बात को बहुत कम लोग जानते हैं ।

 

 एक लोग कह रहे थे कि उनके गुरूजी ने बताया है कि भगवान श्रीराम का अवतार नौ लाख वर्ष पूर्व हुआ था । मैंने कहा ऐसा नहीं है । वे बोले कि उन्होंने कहीं पढ़ा होगा । मैंने बताया कि ऐसा कहीं किसी ग्रंथ में लिखा नहीं है । गुरूजी ने कह रखा कि गुरू की बात एक बार में ही मान लेनी है और उसमें कोई शंका नहीं करनी है । नहीं तो कल्याण नहीं होगा ।

 

   मैंने उन्हें बताया कि लगभग पाँच हजार वर्ष वर्तमान कलियुग का और आठ लाख चौसठ हजार वर्ष द्वापर का मिलकर और त्रेता में कुछ हजार वर्ष पूर्व अवतार हुआ ही होगा ऐसा सोचकर नौ लाख वर्ष कह रहे हैं । लेकिन यह शास्त्र सम्मत नहीं है ।

 

  मैंने उन्हें समझाते हुए बताया कि हर कल्प में एक हजार बार सतयुग, एक हजार बार त्रेता, एक हजार बार द्वापर और एक हजार बार कलियुग आता है । और एक कल्प में भगवान का अवतार एक बार होता है । अतः भगवान का अवतार हर त्रेता में नहीं होता है ।

 

   वर्तमान कल्प के चौबीसवें त्रेता में भगवान श्रीराम का अवतार हुआ था । तब से भगवान श्रीराम के अवतार को लगभग एक करोड़ अस्सी लाख वर्ष हो चुका है  । यह सुनकर ये चिंता में पड़ गए कि गुरू जी को कैसे बताएँ, समझाएँ । लेकिन ये कहते हैं कि हमारे गुरू जी समझाने से समझ जाते हैं ।

 

।। जय श्रीराम ।।

Tuesday, February 27, 2024

सुन्दरकाण्ड के पाठ में नवाचार

 

सुन्दरकाण्ड में सीतारामजी के और हनुमानजी के सुंदर चरित्रों का वर्णन किया गया है । सुन्दरकाण्ड का और इसके पाठ का विशेष महत्व है । कई लोग सुन्दरकाण्ड का पाठ करते हैं ।

 

 कुछ लोग सवा घंटे में तो कुछ लोग एक घंटे में सुंदरकाण्ड का पाठ करते हैं । कुछ लोग पौने एक घंटे में अर्थात पैंतालीस मिनट में सुंदरकाण्ड का पाठ करते हैं । कुछ लोग ऐसे भी हैं जो आधे घंटे में ही सुन्दरकाण्ड का पाठ पूरा कर लेते हैं । सबकी अपनी-अपनी क्षमता और सबका अपना-अपना भाव होता है ।

 

  एक लोग बता रहे थे कि उनके गुरूजी सुन्दरकाण्ड का पाठ तीन घंटे में कराते हैं । बहुत अच्छा लगता है । किसी ने पूछा आप प्रवचन की बात कर रहे हैं क्या ? तब वे बोले कि पाठ की ही बात कर रहे हैं । प्रवचन की नहीं ।


  तीन घंटे कैसे लगते हैं ? इस प्रश्न के जबाब में उन्होंने बताया कि पाठ करते समय जैसे कोई दोहा आता है तो गुरूजी एक गीत गवाते हैं और संगीत वाले बड़े सुंदर अंदाज में गीत प्रस्तुत करते हैं । इस प्रकार सुंदरकाण्ड के पाठ में तीन घंटे लग जाते हैं ।

 

  जैसा मैंने कहा कि सबका अपना-अपना भाव है । हर दोहे के बाद गीत का नवाचार करने से तीन घंटे लग जाते हैं ।  इस प्रकार पाठ में कोई अन्य नवाचार करने से समय तीन घंटे से अधिक भी लग सकता है । इसमें क्या आश्चर्य है ?

 

।। जय श्रीराम ।।

 

Monday, January 1, 2024

उल्टी कथा

 

एक स्वयम्भू गुरू कथा कह रहे थे । श्रीरामचरितमानस जी से शिव और सती जी का प्रसंग चल रहा था । बोल रहे थे कि शंकरजी के बहुत समझाने पर भी सती जी ने शंकरजी की बात नहीं मानी ।

 

इसलिए यदि बहुत समझाने पर भी आपकी पत्नी आपकी बात नहीं मानती है तो कौन सी बड़ी बात हो गई । कौन सा पहाड़ टूट गया ।

  आगे बोले कि पुरुषों को एक बात और बताना चाहूँगा । बहुत समझाने पर भी बात न मानने पर शंकर जी नाराज नहीं हुए थे । और आप लोग नाराज भी हो जाते हो ।

 

 उनकी यह कथा सुनकर स्त्रियाँ बहुत खुश थी । ताली बजा रहीं थीं ।

 

   गुरू जी ने यह नहीं बताया कि शंकर जी ने कहा था कि मेरे समझाने पर भी इनका संशय नहीं जा रहा है, बात नहीं मान रही हैं । इससे लगता है कि विधाता ही इनपे विपरीति हो गया है । फिर इनका कल्याण कैसे होगा ?

 

।। जय श्रीराम ।।

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