नमस्तुभ्यं भगवते विशुद्धज्ञानमूर्तये आत्मारामाय रामाय सीतारामाय वेधसे ।।


नमस्ते राम राजेन्द्र नमः सीतामनोरम नमस्ते चंडकोदण्ड नमस्ते भक्तवत्सल ।।


दीन मलीन हीन जग मोते । रामचंद्र बल जीवत तेते ।।

Tuesday, July 8, 2025

भगवान का चतुर्व्यूह अवतार

 भगवान के कई अवतार हुए हैं | लेकिन केवल दो अवतार ही हैं जो चतुर्व्यूह अवतार हैं | पहला रामावतार और दूसरा कृष्णावतार | 


यही कारण है कि सनातन हिंदू धर्म में रामजी और कृष्णजी अधिक पूजे जाते हैं | इनका यशोगान अधिक होता है |

जब भगवान चार रूपों में अवतार लेते हैं तो  वह अवतार चतुर्व्यूह अवतार कहा जाता है |


रामावतार  में  रामजी, भरतजी, लक्ष्मण जी और शत्रुघ्नजी का एक चतुर्व्यूह था | और कृष्णावतार में कृष्णजी, बलरामजी, प्रद्युम्नजी और अनिरुद्ध जी को मिलाकर चतुर्व्यूह पूरा हुआ था |


 दोनों में यह अंतर था कि रामावतार में चार रूपों में भगवान लगभग एक साथ अवतरित हुए थे | जबकि कृष्णावतार में पहले बलराम जी फिर कृष्ण जी, फिर प्रद्युम्नजी कृष्ण जी के पुत्र के रूप में और अनिरुद्ध जी प्रद्युम्नजी के पुत्र के रूप में अवतरित हुए थे |


|| जय श्रीराम ||

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