।। वृंदावनवासी सांवरे मन मोहन मदन गोपाल ।।
वृंदावनवासी सांवरे मन मोहन मदन गोपाल ।
मथुरा जाए गोकुल आए जशुमति कियो निहाल ।।१।।
घर-घर बाजने सुंदर बाजे सब भए मालामाल ।
देवकीनन्दन जगबन्दन भए नंद बाबा को लाल ।।२।।
गली-गली में नाच नचावैं गोपिन दै-दै ताल ।
माखन खातिर घर-घर डोलत गोपिन ऐंठत गाल ।।३।।
लकुटी लेकर गाय चरावत बड़ा छ्वीलो ग्वाल ।
कामरि वंसुरी सुंदर सोहै तिलक सजीलो भाल ।।४।।
यमुना तीरे कंदुक खेलत संग सखा सब बाल ।
अष्ट सखी संग राधा मोहन लीला करत रसाल ।।५।।
टेढ़ी-टेढ़ी चितवन सोहै टेढ़े टेढ़े बाल ।
टेढ़ी कटि संतोष सुधारत जीवन टेढ़ी चाल ।।६।।
।। वृंदावनवासी सांवरे सरकार की जय ।।