नमस्तुभ्यं भगवते विशुद्धज्ञानमूर्तये आत्मारामाय रामाय सीतारामाय वेधसे ।।


नमस्ते राम राजेन्द्र नमः सीतामनोरम नमस्ते चंडकोदण्ड नमस्ते भक्तवत्सल ।।


दीन मलीन हीन जग मोते । रामचंद्र बल जीवत तेते ।।

Friday, January 7, 2022

जय हनुमान जय मंगल करता

।। श्रीहनुमते  नमः ।।

 

जय हनुमान जय मंगल करता ।

सुर मुनि साधु सुजन दुख हरता ।।१।।

राम चरन पंकज मन राता ।

वेद शास्त्र आदिक के ज्ञाता ।।२।।

विद्या बुधि बल ज्ञान निकेते ।

सुमिरत परम पदारथ देते ।।३।।

राम चरित सुनि अति सुख पावत ।

पुलक रोमांच नयन भरि आवत ।।४।।

अंग तीन संगीत कहावत ।

पूण निपुण रघुनाथ रिझावत ।।५।।

भारत में पारथ रथ केतू ।

राजे आइ विजय वर हेतू ।।६।।

राम काज सुर काज करैया ।

गिरि गोवर्धन द्रोण धरैया ।।७।।

वृंजमंडल पे कृपा कीन्हेउ ।

गिरि गोवर्धन सुंदर दीन्हेउ ।।८।।

दीन मलीन सदा दुख हारेउ ।

चारहुँ युग लीला विस्तारेउ ।।९।।

दीन मलीन देखि सुधि लेते ।

अचल राम पद ठाहरु देते ।।१०।।

रामदूत मोहि निपट बिसारे ।

देखत ओर तोर मन मारे ।।११।।

दीन मलीन संतोष दुखारी ।

राम चरन अरु आस तुम्हारी ।।१२।।

 

।। जय हनुमानजी ।।

 http://sriramprabhukripa.blogspot.com/

लोकप्रिय पोस्ट