नमस्तुभ्यं भगवते विशुद्धज्ञानमूर्तये आत्मारामाय रामाय सीतारामाय वेधसे ।।


नमस्ते राम राजेन्द्र नमः सीतामनोरम नमस्ते चंडकोदण्ड नमस्ते भक्तवत्सल ।।


दीन मलीन हीन जग मोते । रामचंद्र बल जीवत तेते ।।

Sunday, January 8, 2023

तेरे ही बल पे मैं हूँ मेरे स्वामी

। श्रीसीतारामाभ्याम नमः  


तेरे ही बल पे मैं हूँ मेरे स्वामी ।

तेरी शरन में है तेरा अनुगामी ।।

यद्यपि मैं लोभी क्रोधी हूँ कामी ।

तुझसे छुपा क्या तूँ अंतरजामी ।।

जैसा भी हूँ चाहे जितनी भी खामी ।

तेरे सिवा है दूजा न स्वामी ।।

कौड़ी नहीं मोल नमकहरामी  ।

बनाते हो रघुवर उसको भी दामी ।।

मुझसा नहीं दीन तुझसा न नामी ।

संतोष मन तो कुमगों का गामी 

सुनिए अरज अब कण-कण के धामी ।

जैसा भी मेरा, तूँ भर दीजे हामी 

 

 ।। जय श्रीराम ।।

Monday, January 2, 2023

आदि मध्य अरु अंत के साथी राम चरन नहिं पकरै

 जग बिछुरै एक राम न बिछुरैं 

आदि मध्य अरु अंत के साथी राम चरन नहिं पकरै ।।१।।

कोउ पहले कोउ बीच में छोड़ै अंत संग नहिं ठहरै 

जग में जाइ जगत हठि पकरै लोभ मोह रजु जकरै ।।२।।

जो पकरै सो हाथ से जाए मूठी जल जिमि निसरै ।

भवचक्की सुख दुख दो पाटे पिस-पिस चौरासी टहरै ।।३

कृपासिंधु रघुनाथ कृपा बिनु केहि बिधि कोउ पुनि निकरै ।

सीताराम चरन सुखदायक अब जनि रे मन बिसरै ।।४

सुमिर-सुमिर रघुपति गुन करनी कोउ नहिं भवनिधि उतरै 

दीन संतोष राम कृपा ते दीन जनन की सुधरै ।।५।।

 

।। जय श्रीसीताराम ।।

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