आयो री सखी कोशलराज दुलारे ।
सुंदर श्याम मनोहर मूरति, रहि नहिं जात निहारे ।।१।।
कोटि मनोज देखि छवि लाजै, लोचन जात न टारे ।
श्याम गौर दोउ बंधु सुहावन, मुनि जन लोचन तारे ।।२।।
यज्ञ कराये मुनि मन तोषे, असुरन को संघारे ।
धनु मख हेतु जनकपुर आए, पुर गुर मातु उधारे ।।३।।
पुर चहुँ ओर होत है चर्चा, जागे भाग हमारे ।
दीन संतोष नाथ छवि देखे, सकल अपनपो हारे ।।४।।
।। कोशलराज दुलारे श्रीराम-लक्ष्मण की जय ।।
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