एक
स्वयम्भू गुरू कथा कह रहे थे । श्रीरामचरितमानस जी से शिव और सती जी का
प्रसंग चल रहा था । बोल रहे थे कि शंकरजी के बहुत समझाने पर भी सती जी ने शंकरजी
की बात नहीं मानी ।
इसलिए
यदि बहुत समझाने पर भी आपकी पत्नी आपकी बात नहीं मानती है तो कौन सी बड़ी बात हो गई
। कौन सा पहाड़ टूट गया ।
आगे बोले कि पुरुषों को एक बात और बताना
चाहूँगा । बहुत समझाने पर भी बात न मानने पर शंकर जी नाराज नहीं हुए थे । और आप
लोग नाराज भी हो जाते हो ।
उनकी यह कथा सुनकर स्त्रियाँ बहुत खुश थी । ताली
बजा रहीं थीं ।
गुरू जी ने यह नहीं बताया कि शंकर जी ने कहा
था कि मेरे समझाने पर भी इनका संशय नहीं जा रहा है, बात नहीं मान रही हैं । इससे
लगता है कि विधाता ही इनपे विपरीति हो गया है । फिर इनका कल्याण कैसे होगा ?
।। जय
श्रीराम ।।
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