नमस्तुभ्यं भगवते विशुद्धज्ञानमूर्तये आत्मारामाय रामाय सीतारामाय वेधसे ।।


नमस्ते राम राजेन्द्र नमः सीतामनोरम नमस्ते चंडकोदण्ड नमस्ते भक्तवत्सल ।।


दीन मलीन हीन जग मोते । रामचंद्र बल जीवत तेते ।।

Monday, January 1, 2024

उल्टी कथा

 

एक स्वयम्भू गुरू कथा कह रहे थे । श्रीरामचरितमानस जी से शिव और सती जी का प्रसंग चल रहा था । बोल रहे थे कि शंकरजी के बहुत समझाने पर भी सती जी ने शंकरजी की बात नहीं मानी ।

 

इसलिए यदि बहुत समझाने पर भी आपकी पत्नी आपकी बात नहीं मानती है तो कौन सी बड़ी बात हो गई । कौन सा पहाड़ टूट गया ।

  आगे बोले कि पुरुषों को एक बात और बताना चाहूँगा । बहुत समझाने पर भी बात न मानने पर शंकर जी नाराज नहीं हुए थे । और आप लोग नाराज भी हो जाते हो ।

 

 उनकी यह कथा सुनकर स्त्रियाँ बहुत खुश थी । ताली बजा रहीं थीं ।

 

   गुरू जी ने यह नहीं बताया कि शंकर जी ने कहा था कि मेरे समझाने पर भी इनका संशय नहीं जा रहा है, बात नहीं मान रही हैं । इससे लगता है कि विधाता ही इनपे विपरीति हो गया है । फिर इनका कल्याण कैसे होगा ?

 

।। जय श्रीराम ।।

No comments:

Post a Comment

इस पोस्ट पर अपनी टिप्पणी दें

लोकप्रिय पोस्ट