नमस्तुभ्यं भगवते विशुद्धज्ञानमूर्तये आत्मारामाय रामाय सीतारामाय वेधसे ।।


नमस्ते राम राजेन्द्र नमः सीतामनोरम नमस्ते चंडकोदण्ड नमस्ते भक्तवत्सल ।।


दीन मलीन हीन जग मोते । रामचंद्र बल जीवत तेते ।।

Monday, February 6, 2023

जग रीझै तो सब मिलै, मान बड़ाई दाम

 

दस छोड़ा तौ सौ मिले, छुटा नहीं संसार ।

रामदास चलता रहा, राग द्वेष व्यवहार ।।

 


हाथ लगाते अब नहीं, रुपया पैसा दाम ।

नारी को छूते नहीं, त्याग बड़ा है काम ।। 



रामदास जो जुड़ गए, सोइ जुटावैं दाम 

बिनु पैसा नहिं होय जग, जो मन आवै काम 

 


आवक जावक होत बहु, लगा रहे दरबार ।

यहि कीजे तो हरि मिलैं, छूट जाय संसार ।।

 


जग रीझै तो सब मिलै, मान बड़ाई दाम ।

रामदास हरि ना मिलैं, भोजन भूरि प्रणाम ।।

 

 

जग रीझा तो क्या हुआ, रीझे नहिं जो राम ।

रामदास केहि लगि तजे, घर घरनी धन धाम ।।

 


माया मय संसार है, फँसत लगै नहिं बार ।

फँसे कँहै वे फँसि गए, नहीं लगैंगे पार ।।

 


एक आस रघुवीर की, समरथ परम उदार ।

रामदास चित कीजिए, रामचंद्र सरकार ।।

 

 

।। जय श्रीराम ।।

 

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