।। श्रीहनुमते नमः ।।
जय हनुमान जय मंगल करता ।
सुर मुनि साधु सुजन दुख हरता ।।१।।
राम चरन पंकज मन राता ।
वेद शास्त्र आदिक के ज्ञाता ।।२।।
विद्या बुधि बल ज्ञान निकेते ।
सुमिरत परम पदारथ देते ।।३।।
राम चरित सुनि अति सुख पावत ।
पुलक रोमांच नयन भरि आवत ।।४।।
अंग तीन संगीत कहावत ।
पूण निपुण रघुनाथ रिझावत ।।५।।
भारत में पारथ रथ केतू ।
राजे आइ विजय वर हेतू ।।६।।
राम काज सुर काज करैया ।
गिरि गोवर्धन द्रोण धरैया ।।७।।
वृंजमंडल पे कृपा कीन्हेउ ।
गिरि गोवर्धन सुंदर दीन्हेउ ।।८।।
दीन मलीन सदा दुख हारेउ ।
चारहुँ युग लीला विस्तारेउ ।।९।।
दीन मलीन देखि सुधि लेते ।
अचल राम पद ठाहरु देते ।।१०।।
रामदूत मोहि निपट बिसारे ।
देखत ओर तोर मन मारे ।।११।।
दीन मलीन संतोष दुखारी ।
राम चरन अरु आस तुम्हारी ।।१२।।
।। जय हनुमानजी ।।
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