नमस्तुभ्यं भगवते विशुद्धज्ञानमूर्तये आत्मारामाय रामाय सीतारामाय वेधसे ।।


नमस्ते राम राजेन्द्र नमः सीतामनोरम नमस्ते चंडकोदण्ड नमस्ते भक्तवत्सल ।।


दीन मलीन हीन जग मोते । रामचंद्र बल जीवत तेते ।।

Wednesday, January 1, 2025

भगवान का उपहास

 

वैसे तो भगवान का उपहास कोई नहीं कर सकता क्योंकि आकाश पर थूकने की कोशिश करने वाला कभी सफल नहीं हो सकता । यह असंभव प्रयास है ।

 

 कलियुग में कई लोग भगवान को बहुत हल्का बनाने का प्रयास कर रहे हैं । जबकि भगवान में बड़ी गुरुता है । और इसलिए एकमात्र भगवान ही सचमुच के विश्व गुरू और जगदगुरू हैं ।

 

  कोई भगवान के दर्शन को, कोई लीला में प्रवेश को और कोई भगवद प्राप्ति को  बहुत हल्का बता रहा है । कोई भगवान के नाम पर, कल्याण के नाम पर हल्का उपदेश कर रहा है । कोई अनुभवहीनता के चलते उल्टा-पुल्टा अथवा गुमराह करने वाला उदेश कर रहा है ।

 

  लोग सरल और बड़ा संत समझे इसलिए कोई कुछ कर अथवा बोल रहा है ।  अनुयाई बढ़ें इसलिए कोई कुछ कर या कह रहा है ।  लोग भक्त समझें, भगवद प्राप्त महापुरुष हैं ऐसा समझे इसलिए कोई कुछ बोल, कह अथवा कर रहा है ।

 

  इनका लीला में प्रवेश हो चुका है, इनको भगवान का दर्शन हो चुका है, ये दर्शन करा सकते हैं, ये कल्याण करा सकते हैं, ये सबसे श्रेष्ठ है लोग ऐसा समझें इसलिए कोई  कुछ कर, कह अथवा बोल रहा है ।

 

इस तरह कई लोग कुछ अलग करने, कहने अथवा बोलने में लगे हुए हैं । 


 कुछ लोग यह बताने, समझाने, सिखाने में लगे हैं कि वेश सही है तो सब सही है, सब भगवान ही हैं ।

 

इससे भगवान का उपहास हो सकता है । क्योंकि लोग ऐसा सोच सकते हैं, समझ सकते हैं कि क्या सचमुच भगवान भी ऐसे हैं क्योंकि ये लोग तो ऐसे ही हैं और जैसे भी हैं भगवान ही हैं ।


रामदास कलिकाल में, बनी रहै पहचान 

जो मन भावै सो करैं, लीक तजन की ठान ।।


उल्टा-सीधा जो करैं, कहैं सोई उपदेश ।

रामदास भगवान सब, धरे जो सुंदर वेश ।।


महापुरुष सब जानिए, सब को भगवद प्राप्त ।

रामदास कम न रुचै, छोभु जाय उर व्याप्त ।।

 

 

।। जय श्रीराम ।।

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