।। श्रीहनुमते नमः ।।
जय जय जय कष्टभंजन हनुमान ।
क्रूर ग्रह भूतादि नियंता समरथ कृपानिधान ।।१।।
रामदूत सुंदर सब लायक महाबीर बलवान ।
हरि हर विधि सुनि गुन सुख पावत राम प्रेम धनवान ।।२।।
महिमा अमित पार कोउ पावै सकै न कोई जान ।
चारों युग प्रगट जश जागै तिहुँ पुर होत बखान ।।३।।
अंजना सुवन केसरीनंदन देत विमल मति ज्ञान ।
दुर्जन को जिमि काल कहावत राखत जन मन आन ।।४।।
दिन प्रति लोग दरश हित आवत मन महुँ लिए अरमान ।
रोग दोष दुख सोच मिटावत जन हित परम सुजान ।
राम चरण अविरल रति दायक भवसागर जलजान ।
दीन संतोष पवनसुत रीझे रीझत श्रीभगवान ।।६।।
।। श्रीकष्टभंजन देव की जय ।।