घोर कलियुग है । आगे घोरतम कलियुग आएगा । आजकल भगवद प्राप्ति,
भगवद दर्शन और लीला में प्रवेश आदि को खेल समझा जा रहा है ।
किसी को सपने में भगवान के दर्शन अथवा कुछ अनुभव हो जाए तो कहने
लगते हैं कि इनको भगवान के दर्शन होते हैं । यह स्पष्ट नहीं बोलते कि सपने में
भगवान के दर्शन हुए हैं अथवा होते हैं । सामने सुनने वाला मान भी लेता है कि जब
गुरू जी ही इतने पहुँचे हुए हैं तो उनका संग करने वाले को भगवान का दर्शन हो तो
इसमें क्या बड़ी बात है ?
एक लोग बता रहे थे कि एक महिला को ‘लो ब्लड प्रेशर’ की समस्या
रहती है । जिससे वह कई बार बेहोश भी हो जाती है । ज्यादा सोचने पर, टेंशन करने पर
भी बेहोश हो जाती है । उसके पति ने उसके गुरू जी से बताया कि इनका स्वास्थ्य सही
नहीं रहता है । ‘बीपी-ब्लड प्रेशर’ भी लो रहता है । कभी-कभी बेहोश भी हो जाती हैं । अभी कल
पूजा घर में ही बेहोश हो गयीं थी । तब गुरू जी ने कहा कि तुम्हें क्या पता कि ये
बेहोश हुईं थी कि इनका लीला में प्रवेश हो गया था ?
इस कलियुग में बेहोश
होना भी लीला में प्रवेश होना हो गया है । भगवद प्राप्ति, भवद दर्शन और लीला में
प्रवेश को लोगों ने कितना हल्का बना दिया है । ऐसे हल्के लोगों से सावधान रहने की
जरूरत है-
रामदास कलिकाल में, खेल खेल में खेल ।
दर्शन प्राप्ती खेल भै, खेल भै लीला मेल ।।
।। जय श्रीराम ।।
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