नमस्तुभ्यं भगवते विशुद्धज्ञानमूर्तये आत्मारामाय रामाय सीतारामाय वेधसे ।।


नमस्ते राम राजेन्द्र नमः सीतामनोरम नमस्ते चंडकोदण्ड नमस्ते भक्तवत्सल ।।


दीन मलीन हीन जग मोते । रामचंद्र बल जीवत तेते ।।

Monday, January 2, 2023

आदि मध्य अरु अंत के साथी राम चरन नहिं पकरै

 जग बिछुरै एक राम न बिछुरैं 

आदि मध्य अरु अंत के साथी राम चरन नहिं पकरै ।।१।।

कोउ पहले कोउ बीच में छोड़ै अंत संग नहिं ठहरै 

जग में जाइ जगत हठि पकरै लोभ मोह रजु जकरै ।।२।।

जो पकरै सो हाथ से जाए मूठी जल जिमि निसरै ।

भवचक्की सुख दुख दो पाटे पिस-पिस चौरासी टहरै ।।३

कृपासिंधु रघुनाथ कृपा बिनु केहि बिधि कोउ पुनि निकरै ।

सीताराम चरन सुखदायक अब जनि रे मन बिसरै ।।४

सुमिर-सुमिर रघुपति गुन करनी कोउ नहिं भवनिधि उतरै 

दीन संतोष राम कृपा ते दीन जनन की सुधरै ।।५।।

 

।। जय श्रीसीताराम ।।

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