।। श्रीसीतारामाभ्याम नमः ।।
गहो रे मन सीताराम के चरण ।
सुंदर स्याम चिन्ह कुलिसादिक, जन दुख दोष हरण ।।१।।
छियांनबे चिन्ह मनोहर सोहैं, पद तल अरुण बरण ।
मंगलमूल पवनसुत सेवित, गुनगन अमित धरण ।।२।।
सुर मुनि साधु चहत पद पंकज, कल्मष कोटि दरण ।
सबबिधि लायक जनसुखदायक, तारण और तरण ।।३।।
अगजग जीवन मूरि सजीवन, संसृत रोग हरण ।
हरि हर बिधि को भाग्य बिधाता, कारण और करण ।।४।।
दीन मलीन ठौर को दायक, पोषण और भरण ।
दीन संतोष असरण जग जेते, तिनको एक सरण ।।५।।
।। श्रीसीताराम भगवान की जय ।।