नमस्तुभ्यं भगवते विशुद्धज्ञानमूर्तये आत्मारामाय रामाय सीतारामाय वेधसे ।।


नमस्ते राम राजेन्द्र नमः सीतामनोरम नमस्ते चंडकोदण्ड नमस्ते भक्तवत्सल ।।


दीन मलीन हीन जग मोते । रामचंद्र बल जीवत तेते ।।

Thursday, June 13, 2024

द्रवउ राघव दीनदयाल

 

द्रवउ राघव दीनदयाल ।

महोदार प्रभु रघुकुलभूषण दीन हीन सरनागत पाल ।।१।।

दीन मलीन हीन सब बिधि प्रभु मन मति उल्टी चाल ।

जानन सुननहार नहिं कोई तुम बिनु सहज कृपाल ।।२।।

नहिं निज बल नहिं पर बल स्वामी तव बल विरद विशाल ।

साधन बल भी नहिं कछु मोरे दीनन के प्रतिपाल ।।३।।

सुग्रीव विभीषन आदिक राखेउ कृपा किए तत्काल ।

दीन संतोष बेर जनु भूलेउ गुन गन दशरथ लाल ।।४।।

 

।। जय श्रीराम ।।

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