नमस्तुभ्यं भगवते विशुद्धज्ञानमूर्तये आत्मारामाय रामाय सीतारामाय वेधसे ।।


नमस्ते राम राजेन्द्र नमः सीतामनोरम नमस्ते चंडकोदण्ड नमस्ते भक्तवत्सल ।।


दीन मलीन हीन जग मोते । रामचंद्र बल जीवत तेते ।।

Saturday, June 6, 2020

सनातन धर्म ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ है

सनातन धर्म अद्वितीय धर्म है । भूतकाल का कोई भी काल खंड ऐसा नहीं है जब सनातन धर्म न रहा हो । सतयुग, त्रेता और द्वापर में तो केवल सनातन धर्म ही था । इस प्रकार सनातन धर्म सदा-सर्वदा से चलता ही आ रहा है अर्थात यह शास्वत है और इसलिए यह धर्म सत्य है ।

 शिवम का मतलब होता है कल्याणकारी । और सनातन धर्म मनुष्य, पशु-पक्षी, धरती, आकाश, जल, नदी, पर्वत, समुंद्र सबका कल्याण करने वाला है । इसमें सबके कल्याण की कामना की गई है । पूरे विश्व में सुख, शान्ति और समस्त प्राणियों में सद्भावना की कामना सनातन धर्म करता है । इस प्रकार सनातन धर्म शिवम है ।

सनातन धर्म बड़ा ही सुंदर है । जो सत्य हो और कल्याणकारी हो वह सुंदर तो होगा ही । सनातन धर्म के सिद्धांत बड़े मनोरम और व्यवहारिक हैं । सनातन धर्म कर्म के सिद्धांत को समझाने वाला है । मनुष्य जैसा कर्म करता है उसके अनुरूप ही फल प्राप्त करता है और यह कर्म ही उसके पुनर्जन्म के लिए भी उत्तरदायी होता है । कर्म का सिद्धांत अमिट है ।

   सनातन धर्म के अनुसार पशु-पक्षी, मनुष्य और कीड़ेमकोड़े सब मिलाकर चौरासी लाख योनियाँ हैं । जिसमें जीव अपने कर्म के अनुसार जन्मता और दुःख-सुख का अनुभव करता है ।

 सनातन धर्म के अनुसार मनुष्य जीवन पाकर परहित, दया, सत्य और अहिंसा को अपने जीवन में उतारना चाहिए । क्योंकि सनातन धर्म के अनुसार परहित, दया, सत्य और अहिंसा धर्म हैं । पुण्य हैं ।

 मनुष्य जीवन पाकर परपीड़ा, निंदा, झूठ और हिंसा से दूर रहना चाहिए क्योंकि ए सब अधर्म और पाप कर्म के अंतर्गत आते हैं ।

  सनातन धर्म के अनुसार मनुष्य जीवन की सफलता तभी है जब जीवन में सत्य, सदाचार, दया, अहिंसा और परहित आदि गुण हों तथा साथ में भगवद चरनानुराग हो-

परहितदयासत्यअहिंसा को धर्म-पुण्य बतलाता है 
परपीड़ानिंदाझूठहिंसा को अधर्म-पाप बताता है ।।
मानव जीवन का उद्देश्य है क्या सबको यह समझाता है 
जग जीवन पा श्रीराम भजो सबको सदराह दिखाता है ।।

 कुल मिलाकर सनातन धर्म सबको सदराह दिखाता है समस्त संसार में सुख शांति की कामना करता है । समस्त प्राणियों में सद्भावना की कामना करता है और प्राणीमात्र के कल्याण की बात करता है । इस प्रकार सनातन धर्म सत्य है । कल्याणकारी है । और सुंदर है ।

। जय श्रीराम ।।



Monday, June 1, 2020

सनातन धर्म- शास्वत बड़ा पुरातन है


सनातन धर्म अनादि धर्म है । इसका न आदि है न अंत है । अर्थात सनातन धर्म आदि-अंत रहित शास्वत धर्म है । इसका कभी अंत नहीं होता और यह हमेशा चलता ही रहता है । इसलिए ही इसे सत्य सनातन धर्म कहा जाता है-

आर्य धर्म है वही जिसे हम कहते धर्म सनातन है ।
युग युग से ही चलता आये शाश्वत बड़ा पुरातन है ।।
वेदपुराणशास्त्ररामायणउपनिषद में जिसका वर्णन है 
जो समझ सके कुछ तथ्यों को बस जाता उसका ही मन है ।।


  वेद वर्णित धर्म ही सनातन धर्म है । वेद, पुराण उपनिषद और रामायण आदि में जिस धर्म का वर्णन है वह सनातन धर्म है । इसे ही हिंदू धर्म और आर्य धर्म भी कहा जाता है ।

सनातन धर्म संसार का सबसे प्राचीनतम धर्म है । यह समस्त विश्व के कल्याण की और सर्वत्र शांति और प्राणीमात्र के सुख की कामना करने वाला धर्म है ।

जिस धर्म को कोई शुरू करता है उसे उस धर्म का प्रवर्तक कहा जाता है । प्रवर्तक के पहले उस धर्म का, जिसे प्रवर्तक शुरू करता है, अस्तित्व नहीं रहता है । लेकिन सनातनधर्म सदा चलता ही रहता है इसलिए इसका कोई प्रवर्तक नहीं है । सनातन धर्म भगवत स्वरूप ही है ।


सनातन धर्म के अनुसार जब-जब धरती पर अधर्म-पाप बहुत अधिक बढ़ जाता है तब भगवान स्वयं अवतार लेकर प्रकट होते हैं । और अधर्म-पाप को मिटाकर सनातन धर्म की रक्षा करते हैं ।


 सनातन धर्म मानवता को पुष्ट करने वाला धर्म है जब धरती पर राक्षसत्व बढ़ता है तब सनातन धर्म पर संकट आ जाता है क्योंकि इससे अधर्म और पाप बढ़ जाते हैं सनातन धर्म में भगवान का अवतार धर्म को बचाने के लिए होता है-


अधर्म-पाप जब-जब धरती पे बहुत अधिक बढ़ जाते हैं 
तब-तब धर्म की रक्षा को भगवान धरा पे आते हैं ।।
भगवान धरापे आकरके कुछ और नहीं दिखलाते हैं 
इनके आने के पहले भीजो धर्म उसीको बचाते हैं ।।
राक्षसत्व मिटाके धरती से सबको शुभ राह दिखाते हैं 
कुछ और नहीं यह आर्य-धर्म जिसकी हम गाथा गाते हैं ।।

इस प्रकार सनातन धर्म आदि, अंत रहित शास्वत धर्म है । इसका कोई प्रवर्तक नहीं है । यह बहुत ही प्राचीनतम धर्म है जो सदा चलता ही रहता है । इसे आर्य धर्म और हिंदू धर्म भी कहा जाता है । धरती पर जब-जब अधर्म और पाप अधिक बढ़ जाते हैं तब भगवान स्वयं अवतार लेकर अधर्म और पापको मिटाकरके सनातन धर्म की रक्षा करते है । जिससे संसार में सुख और शांति का समावेश हो जाता है । और मानवता पुष्ट हो जाती है तथा राक्षसत्व का अंत हो जाता है ।

। जय श्रीराम 

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