सनातन धर्म अद्वितीय धर्म है । भूतकाल
का कोई भी काल खंड ऐसा नहीं है जब सनातन धर्म न रहा हो । सतयुग, त्रेता और
द्वापर में तो केवल सनातन धर्म ही था । इस प्रकार सनातन धर्म सदा-सर्वदा से
चलता ही आ रहा है अर्थात यह शास्वत है और इसलिए यह धर्म सत्य है ।
शिवम का मतलब होता है कल्याणकारी । और
सनातन धर्म मनुष्य, पशु-पक्षी, धरती, आकाश, जल, नदी, पर्वत, समुंद्र सबका कल्याण
करने वाला है । इसमें सबके कल्याण की कामना की गई है । पूरे विश्व
में सुख, शान्ति और समस्त प्राणियों में सद्भावना की कामना सनातन धर्म करता है ।
इस प्रकार सनातन धर्म शिवम है ।
सनातन धर्म बड़ा ही सुंदर है । जो
सत्य हो और कल्याणकारी हो वह सुंदर तो होगा ही । सनातन धर्म के सिद्धांत
बड़े मनोरम और व्यवहारिक हैं । सनातन धर्म कर्म के सिद्धांत को समझाने वाला
है । मनुष्य जैसा कर्म करता है उसके अनुरूप ही फल प्राप्त करता है और यह
कर्म ही उसके पुनर्जन्म के लिए भी उत्तरदायी होता है । कर्म का सिद्धांत
अमिट है ।
सनातन धर्म के अनुसार पशु-पक्षी,
मनुष्य और कीड़ेमकोड़े सब मिलाकर चौरासी लाख योनियाँ हैं । जिसमें जीव अपने
कर्म के अनुसार जन्मता और दुःख-सुख का अनुभव करता है ।
सनातन धर्म के अनुसार मनुष्य जीवन पाकर परहित,
दया, सत्य और अहिंसा को अपने जीवन में उतारना चाहिए । क्योंकि सनातन धर्म
के अनुसार परहित, दया, सत्य और अहिंसा धर्म हैं । पुण्य हैं ।
मनुष्य जीवन पाकर परपीड़ा, निंदा, झूठ और हिंसा
से दूर रहना चाहिए क्योंकि ए सब अधर्म और पाप कर्म के अंतर्गत आते हैं ।
सनातन धर्म के अनुसार मनुष्य जीवन की सफलता तभी है जब जीवन में सत्य,
सदाचार, दया, अहिंसा और परहित आदि गुण हों तथा साथ में भगवद चरनानुराग हो-
परहित, दया, सत्य, अहिंसा
को धर्म-पुण्य बतलाता है ।
परपीड़ा, निंदा, झूठ, हिंसा
को अधर्म-पाप बताता है ।।
मानव
जीवन का उद्देश्य है क्या सबको यह समझाता है ।
जग
जीवन पा श्रीराम भजो सबको सदराह दिखाता है ।।
कुल मिलाकर सनातन धर्म सबको सदराह दिखाता है । समस्त
संसार में सुख शांति की कामना करता है । समस्त प्राणियों में सद्भावना की
कामना करता है और प्राणीमात्र के कल्याण की बात करता है । इस प्रकार सनातन
धर्म सत्य है । कल्याणकारी है । और सुंदर है ।
।। जय श्रीराम ।।
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