नमस्तुभ्यं भगवते विशुद्धज्ञानमूर्तये आत्मारामाय रामाय सीतारामाय वेधसे ।।


नमस्ते राम राजेन्द्र नमः सीतामनोरम नमस्ते चंडकोदण्ड नमस्ते भक्तवत्सल ।।


दीन मलीन हीन जग मोते । रामचंद्र बल जीवत तेते ।।

Sunday, February 19, 2023

भगवान के दर्शन का एक सूत्र -भगवान कब मिलते हैं ?

 

गोस्वामी तुलसीदासजी ने श्रीविनयपत्रिका में रामजी को बाप कहा है क्योंकि रामजी बाप के भी बाप हैं । आजतक जितने भी बाप हो चुके हैं, जितने हैं और जितने आगे होंगे उन सबके बाप भगवान श्रीराम हैं । अतः इस लेख में बाप का मतलब भगवान है । 


अब प्रश्न यह है कि ये बापजी जो बाप के भी बाप सबके बाप हैं इनका दर्शन कब होता है ? ये बापजी कब मिलते हैं ? इस लेख में बापजी से मिलने का एक सूत्र बताया गया है  


भगवान से मिलने का कोई एक ही रास्ता नहीं है । कोई कहे कि ऐसा करने पर ही भगवान मिलते हैं । अथवा ऐसा करने पर ही भगवान का दर्शन होता है तो यह गलत है ।

 

  ऐसा कोई नहीं कह सकता है कि भगवान से मिलने का, भगवान के दर्शन का एक ही रास्ता है अथवा यही रास्ता है ।


फिर भी निम्नलिखित दोहों में वर्णित स्थिति, अवस्था भगवान के दर्शन का एक सूत्र है -

 


भोग रोग सा जब लगे, भीड़ लगे जिमि साँप ।

रामदास नयना झरे, हर पल सुमिरन जाप ।।

 


राम दरश की लौ लगी, राम विरह उर ताप ।

रामदास ऐसी लगन, देखि मिलेंगे बाप ।।

 

 

।। जय श्रीराम ।।

 

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