नमस्तुभ्यं भगवते विशुद्धज्ञानमूर्तये आत्मारामाय रामाय सीतारामाय वेधसे ।।


नमस्ते राम राजेन्द्र नमः सीतामनोरम नमस्ते चंडकोदण्ड नमस्ते भक्तवत्सल ।।


दीन मलीन हीन जग मोते । रामचंद्र बल जीवत तेते ।।

Sunday, May 7, 2023

भगवद दर्शन और भगवद प्राप्ति के बाद क्या व्यक्ति डिब्बे ढोता है ?

 

आजकल कई लोग भगवद दर्शन, भगवद प्राप्ति, भगवद लीला में प्रवेश आदि को बहुत हल्का बना दिए हैं । लेकिन भगवद बोध-प्राप्ति इतना सरल नहीं है । खेल नहीं है । भगवद दर्शन, भगवद प्राप्ति और भगवद लीला में प्रवेश ऊँची बात है हल्की बात नहीं है ।

 

 एक प्रश्न है कि यदि किसी को भगवद दर्शन हो जाता है । भगवद प्राप्ति हो जाती है तो क्या व्यक्ति के जीवन में कोई विशेष परिवर्तन नहीं आता है ? क्या भगवद दर्शन और भगवद प्राप्ति के बाद व्यक्ति डिब्बे ढोता है ?

 

  एक संत हैं । जिन्हें लोग कहते हैं कि इन्हें भगवान के दर्शन हो चुके हैं । इनको भगवद प्राप्ति हो चुकी है । इन्हें कुछ पाना शेष नहीं है । अब ये लोगों का कल्याण कर रहे हैं । आदि ।

 

   इनके सत्संग में ज्यादा महिलाएं ही होती हैं और इंही से ये अपनी समस्या भी बताते रहते हैं । जैसे यहाँ से जाने के बाद कभी-कभी सूखी रोटी भी खाकर रहना  पड़ता हैं । और कभी-कभी भूंखे भी रहना पड़ता है । आदि । ऐसा सुनकर महिलाएं द्रवित हो जाती हैं । भावना प्रधान तो होती ही हैं । इसलिए ड्राई फ्रूट के डिब्बे,  मूँगफली, भुना चुरा, लाई, अचार, सिरका, भरा मिर्चा आदि खाने-पीने की चीजें डिब्बे भर-भरकर देती हैं ।

  महाराज जी कभी एक महीने में, कभी पन्द्रह दिन में ही और कभी दो महीने में फिर वापस आ जाते हैं और साथ में सभी खाली डिब्बे वापस लाते हैं, खाली बैग-झोले भी लाते हैं ।

 

 फिर डिब्बे वापस करते हैं और बोलते हैं कि यह डिब्बा इन माता जी का है, यह उन माता जी का है, यह उनका है... आदि । यह झोला इनका है, यह उनका है आदि । यह सिलसिला जारी रहता है ।

 

 अब साधक और संत सुजान स्वयं निर्णय करें कि क्या भगवद दर्शन के बाद, भगवद प्राप्ति के बाद व्यक्ति डिब्बे ढोता है ? जिसको कुछ भी प्राप्त करना शेष नहीं रह जाता क्या वह डिब्बे ढोता है ? क्या वह धाम छोड़कर एक स्थान विशेष, जो कोई तीर्थ भी नहीं है, के लोगों से ही चिपका रहता है ?

 


दर्शन प्राप्ती हो चुकी, लगि लगि कहते कान ।

रामदास करने लगे, औरन का कल्यान ।।

  

बड़े भाग ते मिलत हैं, ऐसे परम सुजान ।

रामदास पहिचानिये, कहते बड़े महान ।।

 

 साधु नहीं इनके सरिस, फँसे सभी मजधार ।

 रामदास ये कहत हैं, वे अइहैं संसार ।।

 

रामदास इनसे जुड़े, दूर कहाँ कल्यान ।

आज नहीं तो कल सही, भेजिहैं राम विमान ।।


रामदास कलिकाल में, अधिक कहाँ सब थोर ।

डिब्बा झोला ढो रहे, यह इनका यह तोर ।।

 


।। जय श्रीराम ।। 

 

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