नमस्तुभ्यं भगवते विशुद्धज्ञानमूर्तये आत्मारामाय रामाय सीतारामाय वेधसे ।।


नमस्ते राम राजेन्द्र नमः सीतामनोरम नमस्ते चंडकोदण्ड नमस्ते भक्तवत्सल ।।


दीन मलीन हीन जग मोते । रामचंद्र बल जीवत तेते ।।

Wednesday, May 10, 2023

पति पत्नी के बीच पाप-पुण्य का विभाजन कब नहीं होता ?


 सनातन धर्म में ऐसा कहा गया है कि पति का आधा पुण्य पत्नी को मिलता है । पति कोई भी पुण्य कार्य करे तो पत्नी को पुण्य का आधा भाग मिल जायेगा ।

 

  इसी तरह पत्नी का किया हुआ आधा पाप पति को मिलता है । अर्थात पत्नी कोई पाप कर्म करे तो उसका आधा पति को मिल जाता है ।

 

लेकिन यह सब तब होता है जब पति-पत्नी एक दूसरे के अनुकूल हों । प्रतिकूल होने पर ऐसा नहीं होता है । प्रतिकूल होने पर केवल अपने किए के अनुसार पाप-पुण्य मिलेगा । आधा का चक्कर नहीं रहेगा ।

 

जैसे पत्नी को लगता है कि ऐसा करने में उसका हित है, कल्याण है और पति राजी नहीं है और पत्नी पति की मर्जी के बिना वैसा करती है तो पति आधे पाप से बच जाएगा । इसी तरह पत्नी आधे पुण्य से वंचित हो जायेगी ।

 

 इस प्रकार आधा का चक्कर अनुकूलता में ही है । प्रतिकूलता में आधा का चक्कर नहीं है । 

 


।। जय श्रीराम ।।

 

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