इसी तरह पत्नी का
किया हुआ आधा पाप पति को मिलता है । अर्थात पत्नी कोई पाप कर्म करे तो उसका आधा
पति को मिल जाता है ।
लेकिन यह सब तब होता है जब पति-पत्नी एक दूसरे के अनुकूल हों ।
प्रतिकूल होने पर ऐसा नहीं होता है । प्रतिकूल होने पर केवल अपने किए के अनुसार
पाप-पुण्य मिलेगा । आधा का चक्कर नहीं रहेगा ।
जैसे पत्नी को लगता है कि ऐसा करने में उसका हित है, कल्याण है
और पति राजी नहीं है और पत्नी पति की मर्जी के बिना वैसा करती है तो पति आधे पाप
से बच जाएगा । इसी तरह पत्नी आधे पुण्य से वंचित हो जायेगी ।
इस प्रकार आधा का चक्कर अनुकूलता में ही है । प्रतिकूलता में आधा का चक्कर नहीं है ।
।। जय श्रीराम ।।
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