नमस्तुभ्यं भगवते विशुद्धज्ञानमूर्तये आत्मारामाय रामाय सीतारामाय वेधसे ।।


नमस्ते राम राजेन्द्र नमः सीतामनोरम नमस्ते चंडकोदण्ड नमस्ते भक्तवत्सल ।।


दीन मलीन हीन जग मोते । रामचंद्र बल जीवत तेते ।।

Saturday, June 3, 2023

सनातन धर्म और प्रायश्चित: देवता, भगवान, गुरू, साधु-संत किसी को छूट नहीं है

 

सनातन धर्म के सनातन नियम तथा कर्म और फल का सिद्धांत बहुत प्रबल है । बहुत कठिन है । सनातन धर्म में किसी को छूट नहीं है । यहाँ तक देवता और भगवान को भी प्रायश्चित करना पड़ता है ।

 

ऐसे में किसी व्यक्ति को छूट कैसे मिल सकती है चाहे वह गुरू अथवा साधु-संत ही क्यों न हो ।

 

  पुराणों में कथा आती है कि देवराज इंद्र और भगवान शंकर को भी प्रायश्चित करना पड़ा था । इतना ही नहीं स्वयं भगवान विष्णु को भी यह दिखाने के लिए कि किसी को छूट नहीं है कई बार अपने द्वारा किए गए कार्यों के अनुरूप शाप को अंगीकार करना पड़ा था ।

 

  सनातन धर्म में कर्तव्याकर्तव्य पर बहुत जोर दिया गया है । किसके के लिए क्या कर्तव्य है और क्या अकर्तव्य है, उसके अनुरूप कार्य करना चाहिए । जो प्रमाद बस अथवा अभिमान बस कर्तव्य और अकर्तव्य के अनुसार कार्य नहीं करता वह दण्ड का भागी बन जाता है ।

 

  श्रीवाल्मीकि रामायण में एक श्लोक आता है जिसके अनुसार यदि गुरू भी कर्तव्याकर्तव्य के अनुसार कार्य न करे और कुमार्ग पर चलने लगे तो उसे भी दण्ड देना आवश्यक हो जाता है -

 

  गुरोरप्यवलिप्तस्य कार्याकार्यमजानतः ।

  प्रतिपन्नस्य कार्यं  भवति शासनम्   ।।

 


इस प्रकार सनातन धर्म में किसी को भी छूट नहीं है और इसलिए सभी को कर्तव्याकर्तव्य के अनुसार कार्य करना आवश्यक होता है ।

 


।। जय श्रीराम ।।

 

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