नमस्तुभ्यं भगवते विशुद्धज्ञानमूर्तये आत्मारामाय रामाय सीतारामाय वेधसे ।।


नमस्ते राम राजेन्द्र नमः सीतामनोरम नमस्ते चंडकोदण्ड नमस्ते भक्तवत्सल ।।


दीन मलीन हीन जग मोते । रामचंद्र बल जीवत तेते ।।

Monday, August 26, 2024

रघुपति कृष्ण, कृष्ण रघुवीरा


'श्रीराम रहस्य' नामक ग्रन्थ के अनुसार देश समाज में कई मतिमंद घूम रहे हैं और इनमें से कई साधु संत के वेष में भी देखे जाते हैं | और कुछ लोग अज्ञानता बस मतिमंद जी को संत जी समझते रहते हैं-

 

जनम्यो इत जो कौशल्या माई । 

जशुमति सुत उत सो सुखदाई ।। 

 

रघुपति कृष्ण, कृष्ण रघुवीरा । 

उभय भजन भंजन भव भीरा ।। 

 

जो रघुनंद सोई नंदनंदा । 

उभय भेद भाखत मतिमंदा ।। 

 

         -   श्रीराम रहस्य ।

 

।। जय श्रीराम ।।

Thursday, August 1, 2024

श्रीराम गीता के अनमोल वचन- दो

 

जो भक्तजन मेरी उपासना करते हैं, उनके निकट मैं नित्य निवास करता हूँ

‘तेषां संनिहितो नित्यं ये भक्ता मामुपासते’ ।

 

यहाँ यह ध्यान देने योग्य है कि थोड़ी-बहुत पूजा-उपासना तो बहुत से लोग करते हैं और करना भी चाहिये । लेकिन जिस भक्त के निकट भगवान नित्य निवास करते हैं वे कौन से भक्त हैं ? 


रामजी हनुमान जी से कहते हैं-


जो मेरी आराधना के निमित्त से मुझे पत्र-पुष्प, फल और जल अर्पित करता है तथा मन और इन्द्रियों को काबू में रखता है, वह मेरा भक्त माना गया है ।


। जय श्रीराम 

 

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