नमस्तुभ्यं भगवते विशुद्धज्ञानमूर्तये आत्मारामाय रामाय सीतारामाय वेधसे ।।


नमस्ते राम राजेन्द्र नमः सीतामनोरम नमस्ते चंडकोदण्ड नमस्ते भक्तवत्सल ।।


दीन मलीन हीन जग मोते । रामचंद्र बल जीवत तेते ।।

Thursday, August 1, 2024

श्रीराम गीता के अनमोल वचन- दो

 

जो भक्तजन मेरी उपासना करते हैं, उनके निकट मैं नित्य निवास करता हूँ

‘तेषां संनिहितो नित्यं ये भक्ता मामुपासते’ ।

 

यहाँ यह ध्यान देने योग्य है कि थोड़ी-बहुत पूजा-उपासना तो बहुत से लोग करते हैं और करना भी चाहिये । लेकिन जिस भक्त के निकट भगवान नित्य निवास करते हैं वे कौन से भक्त हैं ? 


रामजी हनुमान जी से कहते हैं-


जो मेरी आराधना के निमित्त से मुझे पत्र-पुष्प, फल और जल अर्पित करता है तथा मन और इन्द्रियों को काबू में रखता है, वह मेरा भक्त माना गया है ।


। जय श्रीराम 

 

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