जो भक्तजन मेरी उपासना करते हैं, उनके निकट मैं नित्य निवास करता हूँ-
‘तेषां संनिहितो नित्यं ये भक्ता मामुपासते’ ।
यहाँ यह ध्यान देने योग्य है कि थोड़ी-बहुत पूजा-उपासना तो बहुत से लोग करते हैं ।और करना भी चाहिये । लेकिन जिस भक्त के निकट भगवान नित्य निवास करते हैं वे कौन से भक्त हैं ?
रामजी हनुमान जी से कहते हैं-
जो मेरी आराधना के निमित्त से मुझे पत्र-पुष्प, फल और जल अर्पित करता है तथा मन और इन्द्रियों को काबू में रखता है, वह मेरा भक्त माना गया है ।
।। जय श्रीराम ।।
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