'श्रीराम रहस्य'
नामक ग्रन्थ के अनुसार देश समाज में कई मतिमंद
घूम रहे हैं और इनमें से कई साधु संत के वेष में भी देखे जाते हैं | और कुछ लोग अज्ञानता बस मतिमंद जी को संत जी समझते रहते हैं-
जनम्यो इत जो कौशल्या माई ।
जशुमति सुत उत सो सुखदाई ।।
रघुपति कृष्ण, कृष्ण रघुवीरा ।
उभय भजन भंजन भव भीरा ।।
जो रघुनंद सोई नंदनंदा ।
उभय भेद भाखत मतिमंदा ।।
- श्रीराम रहस्य ।
।। जय श्रीराम ।।
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