नमस्तुभ्यं भगवते विशुद्धज्ञानमूर्तये आत्मारामाय रामाय सीतारामाय वेधसे ।।


नमस्ते राम राजेन्द्र नमः सीतामनोरम नमस्ते चंडकोदण्ड नमस्ते भक्तवत्सल ।।


दीन मलीन हीन जग मोते । रामचंद्र बल जीवत तेते ।।

Sunday, September 1, 2024

श्रीराम गीता के अनमोल वचन -तीन

 जो मूढ़ मेरे भक्त की निंदा करता है, वह मुझ देवाधि भगवान की ही निंदा में रत है । जो भक्तिभाव से भक्त का पूजन करता है, वह सदा मेरी ही पूजा में लगा हुआ है ।


 यहाँ यह ध्यान देने योग्य है कि रामजी हनुमानजी से कहते -


जो मेरी आराधना के निमित्त से मुझे पत्र-पुष्प, फल और जल अर्पित करता है तथा मन और इन्द्रियों को काबू में रखता है, वह मेरा भक्त माना गया है ।


। जय श्रीराम ।।

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