।। श्रीसीतारामचंद्राभ्याम नमः ।।
राम नाम गुन मन को लुभाए ।
राम सिवा मोहिं दूजा न भाए ।।
सीताराम के गुनगन गाए ।
रघुवर मेरे, मैं उनका बताए ।। राम सिवा. ।।
नयनों के तर अब दूजा न आए ।
पचि-पचि मरे का जग को रिझाए ।।
कोल किरात भील अपनाए ।
बानर भालू को मीत बनाए ।। राम सिवा. ।।
कोटिक दीन मलीन बसाए ।
निज कहि राम हिये से लगाए ।।
दीनबंधु रघुपति सम गाए ।
सरल विनीत और नहिं पाए ।। राम सिवा. ।।
सुंदर श्याम सुशील सुहाए ।
कर सर चाप अमित छवि छाए ।।
दीन मलीन को राम सहाए ।
होत सदा सदग्रंथ बताए ।। राम सिवा .।।
दीन संतोष विरद बल पाए ।
कृपा सदन सो आस लगाए ।।
श्रीरघुनाथ न बनय भुलाए ।
देखत ओर तोर कहलाए ।। राम सिवा. ।।
।। जय श्रीराम ।।
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