अठारह पुराणों में एक सुप्रसिद्ध पुराण है श्रीपद्म पुराण और सभी पुराणों का लेखन महर्षि वेद
व्यास ने ही किया है । इन्ही
महर्षि वेद व्यास ने श्रीमदभागवत पुराण, श्रीमद्भगवद्गीता और महाभारत का भी लेखन
किया है । श्रीअध्यात्म रामायण का लेखन भी महर्षि वेद व्यास जी ने ही किया ।
महर्षि वेद व्यासजी
श्रीपद्म पुराण में कहते हैं कि एक ही देवता हैं-श्रीरामचंद्र । यहाँ देवता शब्द
के दो अर्थ हैं । एक अर्थ भगवान है । इस प्रकार एक ही भगवान हैं भगवान श्रीराम ।
एक ही व्रत है रामजी का अर्चन करना अर्थात रामजी का अर्चन-पूजन ही व्रत है ।
महर्षि वेद व्यास जी आगे कहते हैं कि एक ही मंत्र है राम नाम
अर्थात रामजी के नाम से बढ़कर कोई बड़ा मंत्र नहीं है । और रामजी को ध्याना, रामजी
की स्तुति ही शास्त्र है ।
इस प्रकार महर्षि वेद व्यास जी कहते हैं कि एक भगवान हैं-भगवान राम,
एक व्रत है रामजी का अर्चन-पूजन, एक मंत्र है रामजी का नाम और एक ही शास्त्र है राम
जी का ध्यान और स्तुति-
एको देवो रामचन्द्रो व्रतमेकं तदर्चनम । मंत्रोअप्येकश्च तत्नाम शास्त्रं
तद्ध्येव तत्स्तुतिः ।। -पद्मपुराण- श्रीमहर्षि वेद व्यास जी
।।
।। जय श्रीराम ।।
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