नमस्तुभ्यं भगवते विशुद्धज्ञानमूर्तये आत्मारामाय रामाय सीतारामाय वेधसे ।।


नमस्ते राम राजेन्द्र नमः सीतामनोरम नमस्ते चंडकोदण्ड नमस्ते भक्तवत्सल ।।


दीन मलीन हीन जग मोते । रामचंद्र बल जीवत तेते ।।

Friday, March 24, 2023

एको देवो रामचन्द्रो व्रतमेकं तदर्चनम ...


अठारह पुराणों में एक सुप्रसिद्ध पुराण है श्रीपद्म पुराण और सभी पुराणों का लेखन महर्षि वेद व्यास ने ही किया है । इन्ही महर्षि वेद व्यास ने श्रीमदभागवत पुराण, श्रीमद्भगवद्गीता और महाभारत का भी लेखन किया है । श्रीअध्यात्म रामायण का लेखन भी महर्षि वेद व्यास जी ने ही किया ।

 

 महर्षि वेद व्यासजी श्रीपद्म पुराण में कहते हैं कि एक ही देवता हैं-श्रीरामचंद्र । यहाँ देवता शब्द के दो अर्थ हैं । एक अर्थ भगवान है । इस प्रकार एक ही भगवान हैं भगवान श्रीराम । एक ही व्रत है रामजी का अर्चन करना अर्थात रामजी का अर्चन-पूजन ही व्रत है ।

  

महर्षि वेद व्यास जी आगे कहते हैं कि एक ही मंत्र है राम नाम अर्थात रामजी के नाम से बढ़कर कोई बड़ा मंत्र नहीं है । और रामजी को ध्याना, रामजी की स्तुति ही शास्त्र है ।

 

इस प्रकार महर्षि वेद व्यास जी कहते हैं कि एक भगवान हैं-भगवान राम, एक व्रत है रामजी का अर्चन-पूजन, एक मंत्र है रामजी का नाम और एक ही शास्त्र है राम जी का ध्यान और स्तुति-

 

एको देवो रामचन्द्रो व्रतमेकं तदर्चनम । मंत्रोअप्येकश्च तत्नाम शास्त्रं तद्ध्येव तत्स्तुतिः ।। -पद्मपुराण- श्रीमहर्षि वेद व्यास जी ।

 

 

। जय श्रीराम

 


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