इस लेख का आधार ग्रंथ ‘राम रहस्य’ नामक ग्रंथ है । ग्रंथों के अनुसार मतिमंद की कई परिभाषा है । और कोई एक परिभाषा लागू होते ही व्यक्ति मतिमंद की श्रेणी में आ जाता है ।
ग्रंथों के अनुसार जो मनुष्य शरीर पाकर केवल विषयों में लगा रहता है वह मतिमंद है । जिसे भगवान और भगवान की कथा प्रिय नहीं है वह मतिमंद है । भगवान की निंदा करने वाले मतिमंद हैं । इत्यादि ।
साधारण
आदमी से लेकर कई साधु-संत वेषधारी लोग भी मतिमंद होते हैं । आजकल कई मतिमंद
लोग कथा-प्रवचन भी करते हैं । राम रहस्य नामक ग्रंथ में कहा गया है कि रघुकुल नंदन
श्रीरामजी ही नंद नंदन श्रीकृष्ण जी हैं । और जो लोग दोनों में भेद बताते हैं,
मानते हैं वे मतिमंद हैं ।
कई साधु-संत वेष धारी लोग, कई कथा-प्रवचन कहने वाले लोग कह देते हैं कि रामजी कम कला के और कृष्ण जी अधिक कला के हैं । कई लोग कहते हैं कि पूर्णता कृष्ण जी और कृष्ण नाम में ही मिलती है । इस प्रकार ऐसे लोग रामजी में और कृष्ण जी में भेद मानते हैं, बताते हैं । ये सबके सब लोग राम रहस्य के अनुसार मतिमंद हैं -
जो रघुनंद सोई नंदनंदा ।
उभय भेद भाखत मतिमंदा ।।
रघुपति कृष्ण, कृष्ण
रघुवीरा । उभय भजन भंजन भवभीरा ।।
-राम रहस्य ।
।। जय श्रीराम ।।
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